बुधवार, 2 अक्टूबर 2024

चिंता और चिन्तन

मन और चिंतन
- by Shrishesh
बहुत चिन्ता कर लिए अब चिंतन कर लो। मन को एकाग्र , और तन को चन्दन कर लो। सफलता की एक ही पहचान एक लक्ष्य पर मन का ध्यान। मन में असीम उर्मी है, कल्पना में प्रचंड गर्मी है, यह ध्यान कर लो, मन को विवेक के सहारे वश में कर लो। मन को जिसने पहचाना उसी ने खुद को जाना। भगवत्ता की सत्ता और समस्त लोक का ऐश्वर्य मन में समाया है | मन से अन्जान " श्रीशेष " खुद से भरमाया है। परमाणु की असीम उष्मा, मन की असीम एषणा, प्रकृति की समस्त सुषमा को आत्मसात कर लो। प्रभु की असीम सत्ता के साथ स्वयं को एकात्म कर लो। (अतीत के झरोखों से)
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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