मंगलवार, 12 मई 2020

हलाल अर्थव्यवस्था - एक संक्षिप्त विवेचना

हलाल अरबी का शब्द है जिसका अर्थ है मान्य अथवा स्वीकार्य। इसके विपरीत हराम का अर्थ है अमान्य अर्थात अस्वीकार्य। आमतौर पर हलाल शब्द का प्रयोग खानपान के संबंध में प्रचलित है। उदाहरण के लिए हलाल माँस। हलाल माँस ऐसा माँस होता है जो किसी पशु का वध इस्लामिक तरीके से करके प्राप्त किया जाता है। इसके अंतर्गत उस जीव की श्वास नलिका को इस तरीके से काट दिया जाता है कि उससे खून का फव्वारा छोड़ता रहता है और पशु के शरीर से खून निकल जाता और वह प्राण त्याग देता है। साथ ही जीव को वध करते समय कुछ आयतें भी पढ़ी जाती हैं और अल्लाह का शुक्रिया अदा किया जाता है। इसके साथ और भी कई सारी बातें हैं।

हलाल अर्थव्यवस्था के संबंध में कुछ प्रमुख बातें


१) उत्पाद खर्च में वृद्धि


कोई कंपनी हलाल सर्टिफिकेट कराती है और उसके बदले में कम्पनी हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली कंपनी को इसका भुगतान करती है। इसके फलस्वरूप क्रेता कंपनी के उत्पाद खर्च में वृद्धि हो जाती है क्योंकि हलाल सर्टिफिकेशन में आने वाले खर्चे को भी हलाल सर्टिफिकेट कराने वाली कंपनी अपने उत्पात खर्च में शामिल कर लेती है। इसके फलस्वरूप कंपनी के उत्पाद ज्यादा कीमत में बाजार में उपलब्ध होते हैं अतः बढ़ती कीमत का बोझ उपभोक्ता पर पड़ता है। हलाल सर्टिफिकेशन देने वाली कंपनी की आय में वृद्धि होती है। ध्यान देने वाली बात यह है कि यह सर्टिफिकेट देने वाली कम्पनी एक "इस्लामी" कम्पनी होती है क्योंकि इसका प्रामाणिकरण किसी मुसलमान द्वारा ही किया जा सकता है।

२) पक्षपाती बिजनेस मॉडल


हलाल सर्टिफिकेशन के द्वारा हलाल अर्थव्यवस्था का प्रचार-प्रसार हो रहा है और यह एक पक्षपाती बिजनेस मॉडल (biased business model) है जिसके द्वारा गैर इस्लामिक संस्कृति की उपभोक्ता वस्तुओं का प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष तरीके से तिरस्कार किया जाता है इसके विपरीत इस्लामिक संस्कृति की उपभोक्ता वस्तुओं को बढ़ावा दिया जाता है। आधुनिक समतामूलक समाज में हलाल अर्थव्यवस्था एक वैचारिक सांस्कृतिक आक्रमण की तरह है।

३)  कम्पनी अपने उत्पाद को हलाल सर्टिफाइड क्यों कराती हैं


सवाल यह है कि कंपनियां इस तरह के हलाल सर्टिफिकेशन को क्यों खरीदते हैं। दूसरे शब्दों में कम्पनी अपने उत्पाद को हलाल सर्टिफाइड क्यों कराती हैं। इसका सीधा सा उत्तर यह है कि वर्तमान विश्व में मुसलमानों की आबादी कुल विश्व जनसंख्या का लगभग 25% है और प्रत्येक कंपनी इतनी बड़ी जनसंख्या को इग्नोर नहीं कर सकती। मुस्लिम देशों में हलाल सर्टिफाइड उत्पादों की मांग होती है और उस मांग को ध्यान में रखते हुए विश्व की बड़ी-बड़ी कंपनियां जैसे मैकडोनाल्ड इत्यादि इस्लामिक मुल्कों की इस मांग को ध्यान में रखते हुए अपने उत्पाद को हलाल सर्टिफाइड कराती हैं। उदाहरण के लिए मैकडोनाल्ड मांस को बेचने के समय उस पर हलाल सर्टिफाइड का चिह्न लगाता है ताकि पहचाना जा सके कि यह माँस इस्लामिक तरीके से जिबह किए गए जानवर से प्राप्त है।

४) गैर मुसलमानों को रोजगार से वंचित करना 


हलाल मांस किसी मुस्लिम व्यक्ति द्वारा इस्लामी तरीके से जिबह किए गए जीव का मांस है। इसका अर्थ यह हुआ कि हलाल माँस मुसलमानों के रोजगार को बढ़ावा देता है इसके विपरीत गैर मुसलमानों को रोजगार से वंचित करता है इस प्रकार रोजगार के प्रति भी यह पक्षपातपूर्ण है।

५) भावनाओं के प्रति पक्षपात 


कई सारे सौंदर्य प्रसाधन की वस्तुएं अर्थात कॉस्मेटिक की वस्तुओं में सूअर या गाय की चर्बी इत्यादि का प्रयोग किया जाता है। इस्लाम के अनुसार सूअर हराम है। इसी प्रकार अल्कोहल को भी हराम माना गया है। अतः इन उत्पादों में अल्कोहल या सूअर जैसे एनिमल प्रोटीन के होने पर उनको हलाल सर्टिफाइड नहीं कराया जा सकता ताकि मुसलमानों की भावनाएं आहत ना हो।लेकिन गाय की चर्बी जिससे हिन्दुओं की भावनाएं आहत होती हैं पर हलाल अर्थव्यवस्था मौन रहता है। भावनाओं के प्रति ऐसा पक्षपात समानता के सिद्धांत के प्रतिकूल है।

६) संस्कृति के संघर्षों में बढ़ावा


सबसे बड़ी बात यह है कि अगर प्रत्येक संस्कृति के लोग अपनी अपनी संस्कृति के अनुसार हलाल अर्थात मान्य और हराम अर्थात अमान्य को तय करें तो संस्कृति के संघर्षों में बढ़ावा होगा। उदाहरण के लिए, जैन और हिंदू संस्कृति में जीव हिंसा पाप है और जब कोई जैन या हिन्दू अपने उत्पाद को जैन और हिंदू के नाम से बेचते हैं तो उसे सामाजिक पक्षपात मानकर दंडित भी किया सकता है, परन्तु हलाल के प्रति जागरूकता की कमी अथवा अन्यान्य कारणों से समाज में इस मुद्दे पर बुद्धिजीवियों में कम ही चर्चा हो रही है।

७) हलाल धन का उपयोग


सबसे विचारणीय प्रश्न तो यह है कि हलाल अर्थव्यवस्था में हलाल सर्टिफिकेशन और अन्य तरीके से जो आय इकट्ठी होती है उस एकत्रित धन का उपयोग मुस्लिम समाज द्वारा किस प्रकार किया जा रहा है। यह अपने आप में एक बड़ा विषय है और इसपर अनेक पृष्ठ के लेख लिखा जा सकता है। यह पक्ष सुधि पाठको के लिए छोड़ते हैं। १२ मई २०२०

© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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