मंगलवार, 12 मई 2020

वामपंथ

वाममार्ग, वामपंथ या लेफ्टिस्ट विचारधारा क्या है?

वाम का अर्थ होता है बायां हाथ। अंग्रेजी में लेफ्ट कहते हैं। इसी शब्द से वाममार्ग अथवा वामपंथ शब्द बना है। संसार में ज्यादा लोग दाहिने हाथ का प्रयोग करते हैं। कुछ लोग बाएं हाथ के प्रयोग में आनुवंशिक कारणों से अभ्यस्त होते हैं। वामपंथ या वाममार्ग से अभिप्राय संसार में प्रचलित मान्यताओं और नियमों के विपरीत आचरण करने से है।

वामपंथ के दो रूप हैं-
  1. रिलीजन के सन्दर्भ में वामपंथी विचारधारा
  2. राजनीति के संदर्भ में वामपंथी विचारधारा
रिलीजन में वाममार्ग
वाममार्ग के एक रूप तंत्र मत या पन्थ के पांच मकार इस प्रकार हैं-
  1. माँस
  2. मीन/मछली
  3. मदिरा/ मद्य शराब
  4. मैथुन अर्थात सेक्स/काम क्रीड़ा
  5. मुद्रा अर्थात मनी/रुपये पैसे धन दौलत

इन पञ्च तत्वों की आराधना को तंत्रमार्ग ने उपासना कहा है। मुद्रा यानी मनी धन दौलत के आधार पर अन्य चार तत्वों की प्राप्ति करना तन्त्रमार्ग के उपासक के लिए नियम है। येनकेन प्रकारेण धन कमाओ, मांस मछली खाओ, शराब पियो, सेक्स करो इत्यादि। यह मत संसार का सबसे गुप्तमत साधना है। आम तौर पर सारे दुष्ट कर्म एकांत में होते हैं। तन्त्रमार्ग के साधक भी एकांत में गुप्त साधना करते हैं।

वाममार्ग व तंत्रमार्ग ने संसार में सुखवादी दर्शन को बढ़ाया फैलाया। यह एक भोग से जुड़ा हुआ कल्ट है जिसमे गुप्त रूप से इन पञ्च तत्वों की प्राप्ति के लिए झूठ सच आदि सभी प्रपंचों का सहारा लेना उचित माना गया है।
सामान्य तथ्य है कि झूठ गुप्तरूप में फैलता है। उदाहरण के लिए, खजुराहो की नंगी मूर्तियां जैन बौध, शैव शाक्त तन्त्रः व नास्तिक विचारों की मूर्ति के रूप में अभिव्यक्ति है।

तांत्रिकों का मूल उद्देश्य दूसरे के धन को लूटकर ऐश भोगना ही है। लेकिन कोई भी तांत्रिक प्रत्यक्षरूप में यह नहीं बताता। कई बार अज्ञानवश लोग तंत्र मत के जालग्रन्थ को पढ़कर मानवबलि भी दे देते हैं। भारत मे तन्त्रमार्ग का उदय वैदिक ईश्वरवादी मत के पतनोन्मुख होने एवं नाना प्रकार के नास्तिक मतों के प्रचार-प्रसार से हुआ।

यद्यपि प्रत्यक्ष रूप से यह मत नाना देवी देवताओं की पूजा करते हैं परन्तु मूल उद्देश्य किसी भी भांति सांसारिक आसुरी शक्ति प्राप्त करना होता है।
तन्त्रमार्ग के देवी देवता

शिव, भैरव, भूतनाथ, काली व दुर्गा जैसे वीभत्स देवी देवताओं की उपासना तांत्रिक साधना में की जाती है।

साधक को किसी सद्ग्रन्थ वेद, उपनिषद आदि का अध्ययन नहीं करना होता। बौद्धिकता से परे कोरे विश्वास के आधार पर साधना होती है। मांस मदिरा का सेवन, पशुबलि आदि साधना के नाम पर किए जाते हैं।

कन्या या स्त्री को नग्न कर उसके योनि की पूजा होती है और गुप्त रूप से निर्जन स्थान पर कामक्रीड़ा की जाती है इत्यादि। साधक जो मांस मछली नहीं खाये उसे साधना से अलग कर दिया जाता है अथवा गुप्तरूप से मार दिया जाता है।

राजनीति में वाममार्ग

राजनीति में वाम मार्ग का सबसे विकृत रूप मार्क्सवाद के रूप में आया। मार्क्सवाद ने एक ऐसी अंतरराष्ट्रीय सामाजिक राजनीतिक सत्ता की परिकल्पना स्थापित की, जिसका उदय हिंसात्मक साधनों के सहारे सर्वहारा वर्ग द्वारा बुर्जुआ वर्ग के अंत के रूप में आएगा। कार्ल मार्क्स ने अपने प्रसिद्ध पुस्तक दास कैपिटल में एक ऐसे राजनीतिक आर्थिक समाज की परिकल्पना स्थापित की जो भविष्य में भौतिकतावादी समाजवाद स्थापित करेगा।

मार्क्स के समाजवाद में ईश्वर की उपेक्षा है। हिंसा को लक्ष्य प्राप्ति का माध्यम बताया गया है। इस परिकल्पना को इतिहास की भौतिकवादी व्याख्या के रूप में भी जाना जाता है। इस विचारधारा ने यूरोप में लाखों लोगों के जीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया और सोवियत संघ में स्थापित समाजवाद ने लाखों लोगों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया। नोबल पुरस्कार से सम्मानित एलेग्जेंडर सोलझेनितसिं के गुलाग द्वीपसमूह नामक पुस्तक में मार्क्सवादियों के अमानवीय अत्याचार का विस्तृत व जीवंत वर्णन है। २४/११/२०१९ रविवार

© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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