सोमवार, 30 अगस्त 2021

यूरेनियम

गुणधर्म योग्यता

सोडियम धातु है? क्या हम उसकी अंगूठी बना सकते है? नहीं क्योंकि उसकी अभिक्रियाशीलता इतनी अधिक है कि खुली हवा में रखना भी सम्भव नहीं। पारा भी धातु है परन्तु द्रव अवस्था में होता है अतः उसका भी कोई आभूषण बनाना सम्भव नहीं।

किसी तत्त्व का धातु होना ही आभूषण बनाने योग्य उसे नहीं बनाता। उसके गलनांक, कथवनांक, घनत्व, रेडियोधर्मिता आदि प्रकृति का विश्लेषण भी अपेक्षित होता है। साथ ही उसकी प्राकृतिक अवस्था में रासायनिक प्रकृति व अभिक्रियाशीलता आदि को देखना समझना होगा, तभी यह निर्धारित किया जा सकता है कि फ़लाना/अमुक धातु की अंगूठी बन सकती है अथवा नहीं।

यूरेनियम धातु का विश्लेषण

आवर्त सारणी में यूरेनियम सबसे अधिक भारी तत्त्वों की श्रेणी में है। इसका परमाणु संख्या 92 है और इसके परमाणु भार में भिन्नता होने के कारण इसके कई तरह के समस्थानिक है यथा U-235, U-238 आदि। प्राकृतिक रूप से प्राप्त यूरेनियम में यूरेनियम-235 की मात्रा केवल 0.07% होती है और शेष 99.3% यूरेनियम-238 होता है।

संवर्धित यूरेनियम(Enriched Uranium)

जिस यूरेनियम में यूरेनियम-235 की प्रतिशत मात्रा कृत्रिम विधि से बढ़ा दी गयी हो उसे संवर्धित यूरेनियम कहते हैं। संवर्धित यूरेनियम का उपयोग नाभिकीय रिएक्टर और परमाणु बम बनाने हेतु किया जाता है। संवर्धित यूरेनियम दो प्रकार के होते हैं-- कम संवर्धित यूरेनियम और अधिक संवर्धित यूरेनियम। कम संवर्धित यूरेनियम में सामान्यत तीन से पांच प्रतिशत यूरेनियम-235 होता है और अधिकतम 20 प्रतिशत तक हो सकता है इसका उपयोग रिएक्टर में होता है। यदि यूरेनियम-235 की मात्रा 20 प्रतिशत से अधिक हो तो उसे अधिक संवर्धित यूरेनियम कहते हैं। इसका उपयोग परमाणु बम बनाने में होता है।

ह्रासित यूरेनियम(Depleted Uranium)

इसके विपरीत ह्रासित यूरेनियम वैसा यूरेनियम होता है जो यूरेनियम के विखंडन के बाद बनता है। ऐसा होता है कि प्राकृतिक यूरेनियम में रेडियो सक्रिय समस्थानिक यूरेनियम का विखंडन हो जाता है और जो यूरेनियम बचता है वह ह्रासित यूरेनियम कहलाता है। ह्रासित यूरेनियम में अधिकांशतः यूरेनियम-238 होता है जो  बहुत कम रेडियोसक्रिय एवं अविखण्डनीय है। यह अति उच्च घनत्व का होता है और उसकी अंगूठी बनायी जा सकती है।

अभिक्रियाशीलता

सोने का घनत्व अधिक होता है इसलिए उनका आभूषण बनाना आसान है। यूरेनियम का घनत्व सोने से थोड़ा कम है अतः इस धातु का अंगूठी बनाने की प्रायिकता ज्यादा है परन्तु यूरेनियम सक्रिय तत्व है। पूर्ण अवस्था में यह स्वत: वायु में जल सकता है। साथ ही यह जल से अभिक्रिया भी करता है। इसके द्वारा जल का विघटन होकर हाइड्रोजन मुक्त होता है। यह ऑक्सीजन से 190° C, क्लोरीन से 180° C, ब्रोमीन से 210° C, आयोडीन से 260° C और हाइड्रोजन से 250° C पर क्रिया कर यौगिक बनाता है। अतः सामान्य वायुमंडलीय ताप पर यह वायु से अभिक्रिया नहीं कर सकता। अतः इसके वायु से अभिक्रिया का डर नहीं। साथ ही इसका गलनांक 1132 डिग्री सेंटीग्रेड और कथवनांक 4131 डिग्री सेंटीग्रेड अत्यन्त उच्च है।

अतः इसकी अंगूठी बनाना सैद्धांतिक दृष्टि से सम्भव है परन्तु इसकी बाजार कीमत, उपलब्धता, नाभिकीय दुष्प्रभाव आदि अन्य कारकों को ध्यान में रखने पर आभूषण के रूप में उपयोग अवांछनीय है।

यूरेनियम के अन्य तथ्य

यूरेनियम चांदी की चमकीला सफेद धातु है। इसकी खोज 1789 में मार्टिन हेनरिक कलप्रोथ ने की परन्तु इसकी रेड़ियोधर्मिता गुण का पता 1896 में हेनरी बेक़वेरल द्वारा एक्सरे की खोज के बाद हुआ। इसके अलग अलग समस्थानिक है और कृत्रिम यूरेनियम की रेडियोधर्मिता सर्वाधिक होती है अन्यथा प्राकृतिक यूरेनियम की अर्द्ध जीवनकाल बहुत ही अधिक है, अतः यह बहुत धीमा रेडियोधर्मिता गुण वाला भारी तत्त्व है। रेडियोधर्मी तत्त्व विकिरण कर विखंडित होते हैं और ऊष्मा उत्सर्जित करते हैं। अतः ऐसे तत्व मानव स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। यूरेनियम भी इससे अछूता नहीं। यह अलग बात है कि यूरेनियम बहुत ही कम दर से नाभिकीय विखंडन करता है।
मैडम क्युरी द्वारा यूरेनियम के अयस्क से ही रेडीयम की प्राप्ति की गयी थी। यूरेनियम अपने आप में एक अद्भुत तत्त्व है। विश्व में यूरेनियम के नाभिकीय प्रयोग के कारण राजनीतिक महत्त्व है। अतः राजनीतिक कारणों से अंगूठी बनवाना पहनना सम्भव नहीं।

लेखक अजीत कुमार 

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