शनिवार, 21 अगस्त 2021

जैनधर्म के संस्थापकों को तीर्थंकर क्यों कहा जाता है?

यह हम सब जानते हैं कि जैन और बौद्ध धर्म भारत का एक बहुत ही प्राचीन धर्म है। सनातन वैदिक धर्म के लुप्त होने के बाद भारत में अनेकानेक मत मतान्तरों का उदय हुआ।

तीर्थंकर शब्द का प्रयोग जैन धर्म के संदर्भ में किया जाता है। तीर्थंकर शब्द का शाब्दिक अर्थ है तारने वाला। तीर्थंकर से अभिप्राय ऐसे महान पुरुषों से है जिन्होंने अपने जीवन को दुखों से तार दिया और मोक्ष को प्राप्त किया इत्यादि।
जैनियों में दो संप्रदाय मुख्य रूप से है— दिगंबर और श्वेतांबर। दिगंबर जैन निर्वस्त्र रहते हैं जबकि स्वेतांबर श्वेत वस्त्र को धारण करते हैं।

जो स्थान हिंदू धर्म में अवतारों का है वह स्थान जैन धर्म में तीर्थंकरों का है जैन धर्म में कुल 24 तीर्थंकर हुए हैं।
सत्य है कि भारत में वैदिक धर्म के विनाश के बाद जैन और बौद्ध मतों का उदय हुआ। जैनियों ने मूर्ति पूजा का प्रचलन किया। जैन मंदिरों में भक्तों की भीड़ देखकर इसके प्रतिवाद रूप में हिंदुओं ने 24 अवतारों की परिकल्पना की जैसे विष्णु के दशावतार इत्यादि।


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