ब्राह्मण विद्वान को कहते हैं लेकिन कालांतर में महाभारत युद्ध के बाद वर्ण व्यवस्था का अंत होने के पश्चात पोंगा पंडितों का उदय हुआ जो जन्म पर आधारित श्रेष्ठता के आधार पर अपने आप को ब्राह्मण कहने लगे।
जब ब्राह्मण शब्द का अर्थ बिगड़ गया तो ब्राह्मणवाद भी नकारात्मक शब्द बन गया। उसके बाद से लेकर आज तक ब्राह्मणवाद का अर्थ यह है कि जन्म के आधार पर बिना योग्यता के लाभ को उठाना।
तो ब्राह्मणवाद का सीधा सा अर्थ है बिना योग्यता के किसी भी पद, अर्थ इत्यादि लाभ को ग्रहण करना। आजादी के बाद दलित और दूसरे अन्य वर्ग को जन्म के आधार पर बिना योग्यता के अनेक तरह के लाभ दिए जा रहे हैं अतः सबसे बड़े ब्राह्मणवादी आज के समय में दलित और पिछड़े समाज के ही लोग हैं। लेकिन राजनीतिक नीति नियमों में त्रुटि होने के कारण ब्राह्मणवाद से अभिप्राय एक खास वर्ग से रह गया है जो सरासर गलत है। वे सभी ब्राहम्णवादी हैं जो बिना योग्यता व कर्म के सरकारी लाभों को प्राप्त करने के लिए किसी सरकार को वोट देते हैं। ब्राह्मणवाद एक परजीवी मानसिकता है जो दूसरे के शोषण में रुचि लेता है। अतः इसका सम्बंध किसी जातविशेष से नहीं जुड़ा हुआ है।
आरक्षण ब्राह्मणवाद है
जब हमने समझ लिया कि ब्राह्मणवाद से अभिप्राय बिना योग्यता के किसी दूसरे के हक को मार लेना, शोषण करना इत्यादि है तो इस ब्राह्मणवादी व्यवस्था का अंत करने के लिए सबसे पहले सरकार के आरक्षण की नीति को समाप्त कर देना चाहिए। आरक्षण की नीति आज तक इसलिए अनवरत जारी है क्योंकि इसके कारण राजनीतिक दलों को वोट बैंक की पॉलिटिक्स करना आसान होता है।
समाजवादी सबसे बड़े ब्राह्मणवादी
आरक्षण की नीति कार्ल मार्क्स और लेनिन के हिंसक तरीके से समाजवाद स्थापित करने के विचार पर आधारित है। समाजवाद ना कभी सही था और ना आगे कभी सही हो सकता है। संसार में असमानता प्राकृतिक है और प्रत्येक व्यक्ति को उसकी योग्यता के अनुसार ही फल प्राप्त होता है। आप जीवन के किसी भी क्षेत्र में अयोग्य व्यक्ति को किसी योग्य पद पर बिठा देंगे तो उसे पद की गरिमा भी गिरेगी और अन्य प्रकार के भी संकट उत्पन्न होंगे। समाज में परजीविता और शोषण की प्रवृत्ति उत्पन्न होगी। उदाहरण के लिए आप किसी सरकारी दफ्तर में जाइए और उसी कार्य के लिए किसी प्राइवेट सेक्टर के दफ्तर में जाइए तो दोनों जगह के कार्यशैली, उत्पादकता और वहां के लोगों की मानसिकता में अंतर स्पष्ट दिखेगा।
ब्राह्मणवाद हानिकारक है
व्यावहारिक रूप से देखा जाए तो समाजवाद की पूरी अवधारणा भी विफ़ल हो चुकी है। समाजवाद के नाम पर, समानता के नाम पर बिना योग्यता के लोगों में बराबरी लाने के लिए अनेक तरह के सरकारी पैकेज देना, आरक्षण देना इत्यादि प्रकृतिविरुद्ध है और भारतीय दर्शन के कर्मफल सिद्धांत के भी विरुद्ध है। अतः इस व्यवस्था का शीघ्र अति शीघ्र नष्ट कर देना चाहिए अन्यथा इस राष्ट्र का अत्यधिक नुकसान होने वाला है। न केवल सामाजिक विद्वेष बढ़ेगा अपितु समाज में परजीवी वर्ग उत्पन्न होगा जो दूसरे के कमाए हुए धन पर गैरनैतिक अधिकार जताने की चेष्टा करता रहेगा।
संविधान और भारत के नेता ब्राह्मणवादी
कई लोग कह सकते हैं कि यदि आरक्षण की नीति इतनी ही गलत है तो हमारे आजादी के लड़ाई के राजनेताओं ने आरक्षण की नीति को क्यों लागू कराया? तो इसका सीधा सा उत्तर है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले अधिकतर नेता विदेशी संस्कृति, दर्शन और विचार से प्रभावित थे। उन्होंने जो भी शिक्षा दीक्षा ग्रहण किया, अंग्रेजो के शिक्षा दर्शन के अनुसार। महात्मा गांधी, राजेंद्र प्रसाद, भीमराव अंबेडकर, जवाहरलाल नेहरू, मोहम्मद अली जिन्ना और अन्य बहुत सारे नेता विदेश में बैरिस्टर वगैरह की पढ़ाई करके भारत में अंग्रेजी व्यवस्था को ही लागू करने के सपने देख रहे थे। साथ ही अंग्रेजों को देश से निकालने की जगह उसके अधीन रहते हुए डोमिनियन स्टेटस चाहते थे। उन्हें लगता था कि अगर अंग्रेज देश छोड़कर चले जाएंगे तो हम देश को नहीं संभाल पाएंगे। पश्चिमी देशों के पिछलग्गू इन नेताओं से कॉपी पेस्ट के अलावा कुछ और अपेक्षा की भी नहीं जा सकती थी। संविधान कॉपी करके बनाया गया और आरक्षण की नीति समाजवादी देशों से कॉपी की गई।
ब्राह्मणवादी कॉपी पेस्ट वाले अदूरदर्शी
पश्चिम में उस समय समाजवाद का दर्शन पूरे जोर-शोर से था। भारत की संस्कृति और दर्शन पर आधारित भारत के विकास की परिकल्पना करने वाले इक्के दुकके नेता थे। अतः न केवल भारत का संविधान दूसरे देशो की कॉपी है बल्कि भारत के विकास की नीति भी दूसरे देशों के विकास की मॉडल पर आधारित रहा है। नेहरू ने समाजवाद को सोवियत संघ के विकास मॉडल के अनुरूप कॉपी किया। इसका नतीजा यह हुआ कि हमने आरक्षण के नाम पर समाज तोड़ विचारधारा को अपना लिया है।
ब्राह्मणवाद को अच्छे से समझना आवश्यक है जिसको मैं अपने तरीके से स्पष्ट करने का प्रयास किया, ब्राह्मणवाद एक परजीवी मानसिकता है और यह देश के हित में नहीं हैं।
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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