सोमवार, 18 अगस्त 2025

आर्थर शॉपनहावर का स्त्रियों के प्रति विचार

आर्थर शॉपनहावर का स्त्रियों के सौंदर्य के प्रति क्या विचार था?

आइए स्त्री के सौंदर्य के प्रति आर्थर शॉपनहावर के दृष्टिकोण को थोड़ा गहरे में समझते हैं:-

शोपेनहावर का मानना था कि प्रकृति ने स्त्री को केवल एक सीमित अवधि के लिए आकर्षण प्रदान किया है, और इस आकर्षण को वे वास्तविक सौंदर्य नहीं मानते। उनके अनुसार, युवावस्था में स्त्री का आकर्षण पुरुष को लुभाता है, परंतु यह आकर्षण अस्थायी होता है। किसी पुरुष का मन न तो बचपन की अवस्था की सुंदर लड़की की ओर खिंचता है, न ही वृद्धावस्था की सुंदर स्त्री की ओर, लेकिन एक युवती केवल अपने यौवन से पुरुष को आकर्षित कर सकती है और यह सब प्रकृति की सुविचारित योजना है-

प्रकृति का उद्देश्य अपनी संतति को बनाए रखना है, इसलिए वह प्रजनन-योग्य आयु में स्त्री को रूप-लावण्य से भर देती है, जिससे पुरुष उस आकर्षण को प्रेम समझकर उसकी ओर खिंचता है। किंतु शोपेनहावर के अनुसार, यह प्रेम नहीं बल्कि प्रकृति का एक छल है, जिसमें स्त्री केवल माध्यम भर है। जैसे ही स्त्री अपने मातृत्व के कर्तव्यों का निर्वाह कर लेती है और कुछ संतानें जन्म देती है, प्रकृति उसका वह आकर्षण धीरे-धीरे छीन लेती है।

शोपेनहावर के विचार को आत्मसात करने के लिए इस बात को समाधिस्थ करें-

प्रकृति को अपनी संतति चाहिए। इसके लिए वह स्त्री को अल्प समय के लिए सौंदर्य या आकर्षण से भर देता है। पुरुष उस आकर्षण को ही प्रेम समझ लेता है जबकि वह प्रेम नहीं बल्कि प्रकृति का छलावा है जिसके लिए वह स्त्री को माध्यम बनाता है। जैसे ही स्त्री को दो चार बच्चे होते हैं, प्रकृति उससे वह आकर्षण छीन लेती है।

इसके विपरीत, पुरुष का शारीरिक आकर्षण अपेक्षाकृत स्थायी माना जाता है। पुरुष को मेनोपॉज जैसी अवस्था से नहीं गुजरना पड़ता, इसलिए उम्र बढ़ने पर भी उसका आकर्षण लंबे समय तक बना रह सकता है। यही कारण है कि अपेक्षाकृत अधिक आयु के पुरुषों के प्रति भी स्त्रियां आकर्षित होती पाई जाती हैं।


यद्यपि आर्थर शॉपनहावर का स्त्रियों के सौंदर्य के प्रति यह विचार अत्यंत क्रूर प्रतीत हो सकता है लेकिन शॉपनहावर का उद्देश्य प्रकृति के मन को प्रकट करना था न कि किसी को खुश या नाराज करना।

शोपेनहावर ने संगीत को उच्च कोटि का कला माना है और कला के प्रति प्रेम को ही सच्चा प्रेम माना है, स्त्री के प्रति प्रेम को शोपेनहावर प्रकृति की योजना मानते हैं।


© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें