क्या भिन्न—भिन्न ब्रह्मांडों में भौतिकी के भिन्न—भिन्न मौलिक नियम होते हैं?
यदि आप भिन्न भिन्न ब्रह्मांड में विश्वास करते हैं अर्थात multiverse में तो पहले ब्रह्मांड को सही तरीके से पारिभाषित करने की आवश्यकता है। अलग अलग ब्रह्मांड? अर्थात एक ब्रह्मांड दूसरे से एक या अधिक मामले में भिन्न हो। क्या यह संभव है? जब हम ब्रह्मांड की बात करते हैं तो उसमें अलग अलग अवयव होते हैं जैसे गैलेक्सी। तो दो ब्रह्मांड की कल्पना कैसे कर सकते हैं बिना सॉलिड परिभाषा के? और भिन्न भिन्न ब्रह्मांड में भौतिकी के भिन्न भिन्न मौलिक नियम की कल्पना कर रहे हैं तो यह कल्पना क्यों न करें कि दूसरा ब्रह्मांड अभौतिक है? आखिर कल्पना करने में फूटी कौड़ी भी खर्च नहीं होने वाला। हाँ लेकिन कल्पना और परिकल्पना में अंतर है तो पहले मल्टिवर्स कल्पना है या परिकल्पना यह निश्चित तो कीजिए।
बाकी अधिक संगठित उत्तर चाहिए तो उपरोक्त विन्दुओं का विस्तार AI की सहायता लेकर किया हूँ। चलिए इसे चरणबद्ध तरीके से देखते हैं—
1. ब्रह्मांड की परिभाषा
भौतिकी में जब हम "ब्रह्मांड" (universe) कहते हैं, तो सामान्य अर्थ है —
“वह संपूर्ण स्थान-काल (space-time) और उसमें उपस्थित सभी ऊर्जा, पदार्थ और नियम।”
अब यदि हम "मल्टिवर्स" की बात करते हैं, तो हमें मानना पड़ेगा कि "हमारा ब्रह्मांड" एक उपसमुच्चय है, और अन्य ब्रह्मांड भी हो सकते हैं — जिनके अपने स्थान-काल, कण, ऊर्जा और शायद नियम हों।
2. क्या अलग-अलग ब्रह्मांड में नियम अलग हो सकते हैं?
- हमारे ब्रह्मांड के मौलिक नियम (जैसे गुरुत्वाकर्षण स्थिरांक, प्रकाश की गति, क्वांटम मैकेनिक्स के सिद्धांत) एक जैसे और सार्वभौमिक हैं — जहाँ तक हमने देखा है।
- लेकिन मल्टिवर्स सिद्धांत (multiverse hypothesis) में यह संभावना उठती है कि हर ब्रह्मांड की “initial conditions” या “fundamental constants” अलग हो सकती हैं। जैसे किसी ब्रह्मांड में इलेक्ट्रॉन का द्रव्यमान अलग हो। किसी ब्रह्मांड में गुरुत्वाकर्षण का नियम की बजाय हो।
- यह सब कल्पनात्मक (speculative) है, परंतु गणितीय मॉडल (जैसे string theory के "landscape") यह कहने की गुंजाइश देते हैं।
3. कल्पना बनाम परिकल्पना
- कल्पना (Imagination): बिना किसी वैज्ञानिक आधार या परीक्षण की योजना के केवल मन का खेल।
- परिकल्पना (Hypothesis): ऐसा कथन जो वर्तमान सिद्धांत से निकला हो और परीक्षण योग्य (falsifiable) हो।
👉 "मल्टिवर्स" इस समय ज़्यादातर कल्पना और परिकल्पना के बीच है।
- इसे पूरी तरह कल्पना नहीं कह सकते, क्योंकि inflationary cosmology और string theory जैसी स्थापित थ्योरीज इस संभावना की ओर संकेत करती हैं।
- लेकिन यह कठोर परिकल्पना भी नहीं है, क्योंकि फिलहाल हमारे पास कोई सीधा तरीका नहीं कि हम दूसरे ब्रह्मांड का परीक्षण कर सकें।
4. क्या ब्रह्मांड “अभौतिक” भी हो सकता है?
👉👉 आपने बिल्कुल उचित कहा — अगर हम मान लें कि नियम बदल सकते हैं, तो क्यों न मानें कि किसी ब्रह्मांड में भौतिकी ही न हो?
- विज्ञान की दृष्टि से समस्या यह है कि भौतिकी रहित ब्रह्मांड का अर्थ ही समझ में नहीं आता।
- "ब्रह्मांड" शब्द में ही कुछ नियमों की संगति निहित है।
- इसलिए "अभौतिक ब्रह्मांड" ज़्यादा दार्शनिक कल्पना है, वैज्ञानिक परिकल्पना नहीं।
5. निष्कर्ष
- Multiverse की धारणा वैज्ञानिक कल्पना-आधारित परिकल्पना है।
- परिभाषा यही होगी: एक ब्रह्मांड दूसरे ब्रह्मांड से तभी अलग होगा जब उसके मौलिक स्थिरांक, नियम या आरंभिक दशाएँ भिन्न हों।
- लेकिन जब तक हम परीक्षण का कोई रास्ता नहीं ढूँढते, यह विषय भौतिकी से ज़्यादा दार्शनिक चर्चा का हिस्सा है।
👉 अब सवाल आपसे:
क्या आप इसे भौतिकी के वैज्ञानिक सिद्धांतों का विस्तार मानते हैं (यानी inflation, string theory की परिणति),
या फिर शुद्ध दार्शनिक विचार कि "यदि ऐसा हो तो कैसा हो"?
© अजीत कुमार सर्वाधिकार सुरक्षित।
2025.08.18 सोमवार
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