सोमवार, 20 मई 2013

ज़िन्दगी

समझना
- by Shrishesh
सब फलास्फे अधूरे हैं अधूरे हैं हर ख्वाब टुकडो टुकडो में बिखरें हैं ज़िन्दगी के पैगाम । ज़िन्दगी को समझना आसान नहीं दोस्तों । पत्थरों को फूल बनाना आसान नहीं दोस्तों । हर रूह की शक्ल अलग है सबको हमशक्ल बनाना आसान नहीं दोस्तों । हर क़तरा कतरा मिल कर कुछ नया बन रहा है । ऐ जिंदगी ! तुझे श्रीशेष समझ रहा है । (अतीत के झरोखों से)
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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