समझना
सब फलास्फे अधूरे हैं
अधूरे हैं हर ख्वाब
टुकडो टुकडो में बिखरें हैं
ज़िन्दगी के पैगाम ।
ज़िन्दगी को समझना
आसान नहीं दोस्तों ।
पत्थरों को फूल बनाना
आसान नहीं दोस्तों ।
हर रूह की शक्ल अलग है
सबको हमशक्ल बनाना
आसान नहीं दोस्तों ।
हर क़तरा कतरा मिल कर
कुछ नया बन रहा है ।
ऐ जिंदगी !
तुझे श्रीशेष समझ रहा है ।
(अतीत के झरोखों से)
Good one
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