अरमान
हर रोज नई मंज़िल है
हर रोज़ नए अरमान
हर रोज मौत की हसरत है
हर रोज नये दास्तान
हर हार के साथ जन्मती है
नई आशा की सौगात
तारों के अरमान चमकते हैं
हर अमावस की रात
घनघोर घटा जब छाती है
सूरज भी छिपा जाता है
बर्षा के बाद छिटकती है
नभ में सतरंगी पैगाम ।
(अतीत के झरोखों से)
थैंक्स
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