विवेक
माँ ऐसा वरदान दो
प्राणों को प्रज्ञा दान दो
अज्ञान का बंधन कट जाये
विभ्रम का बादल छँट जाये।
विद्या विवेक का हो विलास
सत्य सुगन्धि की हो तलाश
दे कर जग को रस विज्ञान
कर दो जग में नूतन विहान।
लोभ मोह माया का जाल कटे
अहं तत्व महाविकराल मिटे
रूढ़ि जड़ता अज्ञान तिमिर
घुल जाये पल में ओस सदृश
भर दो मन में ऐसी उर्मी
बन जाये जीवन यतिधर्मी।
(अतीत के झरोखों से)
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