बुधवार, 2 अक्टूबर 2024

जिन्दगी एक सफर है

जिन्दगी का सफर
- by Shrishesh
जिन्दगी एक सफर है सफर बस सफर | चल रहा मंजिलों से हो कर बेखबर | जिंदगी चल रहा बस डगर दर डगर, खेले खेल ऐसा मानो हो जादूगर | जिंदगी को नहीं है इतनी भी खबर, कहाँ उसकी मंजिल कहाँ है बसेरा कहाँ उसकी संध्या कहाँ है सबेरा | लगे ठोकरें तो संभलना सिखाये नये राग में वो सदा गीत गाये | जिंदगी एक पहेली जिंदगी एक जुआ कभी एक वरदान कभी एक बददुआ | बहारों का मौसम है जिंदगी खिजाओं का आलम भी है जिंदगी | नर के निमित जिंदगी है अधूरी कविता सम्पूर्णता को जाने एक मात्र सविता।
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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