भारत के घाव के सम्बंध में इस्लामी साम्राज्यवाद का गहरा संबंध रहा है। भारत आज भी इस घाव से रक्त रिस रहा है। कश्मीर, अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बंगलादेश उसी घाव की निशानी हैं।
आज यह बताया जाता है कि गरीब दलित पिछड़े लोगों ने खुशी-खुशी इस्लाम को स्वीकार किया जबकि वस्तुस्थिति इसके विपरीत थी। गरीब जजिया नहीं दे सकते थे, डर और भय का माहौल था, वे अपनी रक्षा में स्वयं असमर्थ थे और शासक व धर्मगुरू वेदविहित कर्मो का त्याग कर बहुत पहले ही अनीश्वरवादी और भोगवादी बन गए थे। जैन, बौद्ध जैसे अनीश्वरवादी और पौराणिक मतावलंबियों मे प्रतिस्पर्धा और वैमनस्य था। ईश्वरवादी पौराणिक कथाओं मान्यताओं और अंधविश्वास में जकड़े हुए थे। अतः कर्तव्यपरायणता और स्वदेश भक्ति न्यून होती गई। ऐसे हालात में समाज का एक वर्ग असुरक्षा और भय के माहौल में मतांतरित हुआ। जिसे पुनः हिन्दू समाज मे वापस भी नहीं लिया गया। साथ ही, मतान्तर के लिए सूफ़ीवाद का सहारा लिया गया। छल और बल दोनों का एक साथ प्रयोग इस्लाम की नीति रही है।
आज भी इस्लाम इसी दोहरे चरित्र और मुखौटे में है। इससे इस्लाम सुरक्षित भी महसूस करता है और सफल भी। वर्तमान विश्व में जो हालात हैं, इसमें स्पष्ट है कि वामपंथी मीडिया और शिक्षा व्यवस्था में बैठे माफिया विद्यालय, महाविद्यालय और विश्वविद्यालय में इस्लामी विचार को पोषित करते हैं और इतिहास के सच का गला घोंटने का प्रयास करते हैं। आतंकवाद को चीनी की चाशनी में डुबोकर शांतिपूर्ण इस्लाम के चैप्टर पढ़ाए जाते हैं जिसको benign Islam कहा जाता है।
जिस तरह कॉम्युनिस्ट रक्तपात पूर्ण सत्ता परिवर्तन में विश्वास करते है इस्लामिस्ट उससे लेशमात्र भी इतर नहीं हैं। बस अंतर यह है कि इस्लाम मज़हब का सहारा लेकर चरित्रहनन करता है जबकि कम्युनिस्ट मनुष्य को ईश्वरविहीन कर।
मोहम्मद और इस्लामी साम्राज्यवाद के सम्बंध में अनवर शेख के लेख/पुस्तकें प्रत्येक भारतवासी के लिए पठनीय हैं।
अनवर शेख का जन्म गुजरात में हुआ था। बाद में ये पाकिस्तान चले गए। हिन्दू सिक्खों के कत्ल भी अनवर ने किया परन्तु बाद में इस्लाम से इनका मोहभंग हो गया। उनको ईशनिंदा के अपराध में जान से मारने का भी प्रयास किया गया। गूगल कर उनकी जीवनी पढ़े।
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।- इस्लाम : अरब सम्राज्यवाद
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