सोमवार, 22 नवंबर 2021

सूरत बदल गई

वक्त
- by Shrishesh
वक्त यूँ बदला कि सूरत बदल गई दिल में बसे खयालात की मूरत बदल गई। दिल चीख़ उठा, खुदाई मिट गई इस जहां का खुदा बदला, परछाई लुट गई। अरमानों के मेले थे, सब जुदा हुए तन्हा दिल हुआ, हम गमजदा हुए। कुछ दर्द है दिल में जो चीख नहीं सकते आंखें ही बयां है जुबां कह नहीं सकते। दर्द जब जब दहका सीने को जला दिया आंखों से लहू टपका, लोगों ने पानी समझा। क्या बताएं बात जब शब्द सानी नहीं लोग क्यों मानेंगे सच, जब दिखाने को निशानी नहीं। गमजदा की बात कब समझी है खुदाई बात वही समझेंगे जिन्हें खुद से है जुदाई। नहीं करो श्रीशेष, खुदग़रजों से दुहाई पत्थर के बूत हैं इनसे भली तनहाई!! (अतीत के झरोखों से)
© अजीत कुमार, सर्वाधिकार सुरक्षित।

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